white canvas
Saturday, February 19, 2011
अपनी चीज़ बांटने में झिजक होती है...
अपनी चीज़ बांटने में झिजक होती है,
शुरुवात तो तुम्हीसे होती है,
ना जाने तुम भी हमारे हो भी के नहीं,
ये दिल और दराज कब के पराये हो चुके हैं।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment